इंदौर का बड़ा गणपति चौराहा बना मौत का चौराहा
इंदौर का बड़ा गणपति चौराहा बना मौत का चौराहा

नो-एंट्री में घुसा ट्रक, कुचलीं कई जिंदगियां – प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल
इन्दौरी खुलासा
इंदौर। शहर की धड़कन कहे जाने वाला बड़ा गणपति चौराहा सोमवार रात खून से सराबोर हो गया। देर रात एक तेज़ रफ्तार ट्रक ने यहां पैदल और वाहन सवार लोगों को बेरहमी से रौंद डाला। इस भीषण हादसे में कई मासूमों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि दर्जनों लोग अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। चारों तरफ चीख-पुकार, खून से लाल सड़क और बिखरे पड़े शव देखकर हर किसी की रूह कांप उठी। इस दर्दनाक हादसे ने पूरे इंदौर को हिला दिया।
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नो-एंट्री में ट्रक कैसे घुसा?
सबसे बड़ा सवाल यही है – जब यह क्षेत्र सख्त नो-एंट्री जोन है तो ट्रक आखिर अंदर पहुंचा कैसे?
क्या ट्रैफिक पुलिस अपनी ड्यूटी पर थी?
क्या नियम केवल कागजों तक सीमित हैं?
या फिर यह हादसा भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मिलीभगत की भेंट चढ़ा?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि अगर पुलिस और ट्रैफिक अमला सजग होता तो आज इतनी लाशें सड़क पर नहीं बिछतीं।
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शराब के नशे में था ट्रक ड्राइवर
इंदौर जोन-1 के डीसीपी कृष्णा लालचंदानी ने बताया कि ड्राइवर शराब के नशे में था। उसने पहले कालानी नगर में लोगों को टक्कर मारी और फिर वहां से भागते हुए लोगों को घसीटते हुए बड़ा गणपति चौराहे तक आया। नशे में धुत ड्राइवर ट्रक पर कंट्रोल नहीं कर पाया। हादसे में अब तक 2 मौत और 3-4 लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। ड्राइवर को गिरफ्तार कर मल्हारगंज थाने ले जाया गया है। उसका मेडिकल कराया जा रहा है और ट्रक जब्त कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
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पुलिस बोली 3 मौत, चश्मदीद बोले 7-8 लोगों की गई जान
घटना के बाद पुलिस ने आधिकारिक तौर पर करीब 3 लोगों की मौत बताई है, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि हादसे में 7 से 8 लोगों की जान गई।
सुभाष सोनी नामक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि ड्राइवर नशे में था और ट्रक के ब्रेक भी फेल हो गए थे। ट्रक के टायर में आग लग गई और वह लगातार लोगों को कुचलता चला गया। कई लोग ट्रक के नीचे दबे। घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।
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गुस्से में जनता
हादसे के बाद इलाके में हड़कंप मच गया। लोग दौड़कर घायलों को अस्पताल ले गए। वहीं गुस्साई भीड़ ने लापरवाह सिस्टम पर अपना आक्रोश जताते हुए लोगों का कहना था कि – “अगर प्रशासन समय पर सख्ती करता तो आज यह क़हर नहीं टूटता।”
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आए दिन दोहराई जाने वाली त्रासदी
यह कोई पहला हादसा नहीं है। आए दिन इंदौर की सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही और प्रशासनिक नाकामी के कारण मासूम जानें जाती रही हैं। कुछ दिन पहले ही बस हादसे में दो लोगों की मौत हुई थी। रहवासियों का कहना है कि रोजाना नो-एंट्री में भारी वाहन घुस आते हैं, लेकिन जिम्मेदारी तय करने के बजाय मामलों को दबा दिया जाता है।
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घायलों की सूची
अंकिता पति रितेश गोपालानी (30 वर्ष)
अनिल पिता लाल सिंह कोठारे (35 वर्ष), निवासी अमर पैलेस
पलक पिता अनिल जोशी, निवासी इमली बाजार
अशोक पिता प्रहलाद दास गोपालानी (71 वर्ष), निवासी लीड्स एयरोड्रम
काजल पति अशोक गोपालानी (63 वर्ष)
संविद पिता रितेश दुधानी
(चार घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है।)
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जनता का सवाल – कब मिलेगा न्याय?
इस हादसे के बाद शहरवासियों का गुस्सा उबाल पर है। लोग सवाल पूछ रहे हैं –
क्या इंदौर की सड़कें अब मौत का जाल बनकर ही रहेंगी?
क्या ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम केवल वसूली तक सीमित रह गए हैं?
कब तक प्रशासन की नींद और लापरवाही मासूमों की जानें लीलती रहेगी?
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खामोश अफसर, खून से लथपथ इंदौर
हादसे के बाद भी प्रशासनिक अफसरों की चुप्पी ने लोगों के जख्म और गहरे कर दिए हैं। सुरक्षा के बड़े-बड़े दावों की पोल इस घटना ने खोल दी है।
लोग अब कह रहे हैं कि – “अगर सिस्टम जागा नहीं तो बड़ा गणपति चौराहा मौत का चौराहा बने रहने से कोई नहीं रोक सकता।”